Tuesday, March 20, 2012


एक परिपक्वता की मंशा  में जीवन यापन करता मैं,
किसी दिशा की ओर बढता मैं,
हर दिन इसी से गुजरता मैं |


जीवन की आपाधापी में खुद को समझता मैं,
उलझन में  तो सारे हैं,
पर उनके आगे बढ़ता मैं |

एक युग का दर्शन होता है,
गतिरोध और विलंभ का साथ संगम होता है,
इस  ओर मैं अपनी सीमा को  प्रदर्शित करता मैं |










Review: TILL GOD WAKES: Immortal Story of SINO-INDIAN War in NEFA In the bustling landscape of 20th-century socio-political activism, few fi...